Saturday 30 August 2014

चिड़िया -एक चौका




एक चिड़िया
धरा पे गिरे दाने
उतरी खाने
बहेलिये का जाल
देखा ही नहीं  
फँस गयी जाल में
खूब तड़पी
सभी कोशिशे व्यर्थ
शिकारी आया
जाना पहचाना सा
मांगे रहम
जालिम बस हंसा
आँखे चमकी
कैसी हैवानियत
लुट गयी चिड़िया
-विशाल सर्राफ धमोरा

No comments:

Post a Comment